जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन से विभीन्न प्रकार के प्रदूषण बढ़ रहें हैं प्राकृतिक संसाधन का उपयोग बड़ रहा है जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ सूखा गर्मी तूफ़ान भूषरण के कारण विस्थापन बड़ रहा है बीमारियां बढ़ रही है यह इको एंजाइटी से लोगों में मानसिक विकार हो रहा है
हमारी नियति है कि ज्यादा बादल बरस जाय तो उसे समेटने के साधन नहीं हैं और कम बरसे तो रिजर्व स्टॉक नही दिखाता है
बदल बरसने से शहर डूबने लगे बढ़ते शहरीकरण से आपदाए घातक हो जाती है और बढ़ते शहरीकरण से सांसे घूट रही है जनसंख्या विस्फोट से जल थल नभ प्रदूषित है वनों की कटाई से पृथ्वी तापमान मे वृद्धि हुई कार्बन उत्सर्जन बढ़ा अवशोषण काम हुआ अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में इस पर चिंता जताई जाती है पर स्वार्थ वश कोई भी देश ठोस कार्रवाई नहीं करते बेहतर होगा हम पृथ्वी पर संतुलन स्थापित करने में सहयोग दे। जैसे आस पास प्राकृति से जुड़े , पेड़ पौधे लगाए उनकी देखभाल करें।

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