Ancient India

वृक्षारोपण

हमारी सर्वश्रेष्ठ संस्कृति सभ्यता ने पर्यावण संरक्षण की बात तब कही जब यहां प्रदूषण था ही नहीं हमारी सोच यू ही महान नहीं है हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति हमारी वेदिक परम्परा हमारी जीवन जीने की पद्धति में सम्मिलित था। हम तब से ही पर्यावरण संरक्षक पोशक रहे हैं।
हमने जैव विविधता को महत्त्व दिया गाय वृक्ष सहित उन सभी को महत्त्व दिया पूजा कृतघ्नता व्यक्त की जो उपयोगी थे सुर्य चंद्र औषधियां वनस्पतियां सब पूजनीय है प्रकृति का सहचर्य से ही हमारा जीवन जुडा है इसलिये प्रकृति को ही हमारी संस्कृति शिव मानती है और पूजती है वेदिक संस्कृति हमें यह याद दिलाती है कि व्यक्ति को प्रकृति से उतना ही लेना चाहिए जो लोटा सके। जिससे पंच तत्वों का
समंजस बना रहे और पंच तत्वों से बना हमारा शरीर भी संतुलित रहे यही हमें हर उत्सव त्योहार संस्कृति सभ्यता परम्परा व्यवहार पूजापाठ में सम्मिलित कर ऋषि मुनियो ने बताया है यही हमारे जीवन की शुद्धि और उससे जुड़ी समृद्धि है।
हमारे ऋषि मुनि ने प्राण वायु शुद्ध हवा को बड़ा महत्त्व दिया साथ ही योग पूजा पाठ ध्यान भजन संगीत नृत्य सत्संग प्रवचन जप उपासना यह सब आत्म साक्षात्कार करने लिए मध्यम के रुप में वनस्पतियो के महत्व को जाना है जो धूप दीप हवन के साथ उपयोग होती है जिससे वातावरण शुद्ध होकर एकाग्रता में सहायक होता है यह वायु प्राण वायु हमे दीर्घायु बनाती है सत्य तो यह है कि जन्म से अंत तक पेड़ो का महत्व है। सभी पेड़ पौधे जड़ी बूटियां वनस्पतियो का संरक्षण संवर्द्धन हमारे संस्कारों में हजारों वर्षों से समाहित है यही धर्म है आयुर्वेद इष्टापूर्त यज्ञ धर्म का ही हिस्सा है सनातन परंपरा का अर्थ भारतीय देनांदिनी है हम सबके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पेडपोधे वनस्पतियां मिलकर लगाएं हमसे जुड़ें वृक्षारोपण
करें और विचारों की शुद्धी के साथ लाभ समृद्धि पाए।
प्लांटेशन इंडिया

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