Environment pollution & climate change

वायु अमृत्व की निधि है वह हमें जीवन देती है ऑक्सीजन देती है लेकिन बदलती हुई जीवनशैली ने हमारी पारंपरिक मान्यताओं से खिलवाड़ किया मानव प्रदूषण ही हमारे लिए तरक्की का पर्याय बन गया पिछले कुछ सालों से हम अपने स्वभाव से ही नहीं अपने व्यवहार से भी प्रकृति में जहर घोलने के आदि हो चुके हैं प्रदूषण की भयावहता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन वायु प्रदूषण को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी अर्थात जन स्वास्थ्य के लिए आपातकाल कहता है लंदन के किंग्स कॉलेज के एक अध्ययन में पाया गया की वायु प्रदूषण युवाओं में कई मनोविकृति यों को जन्म देता है सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि वायु प्रदूषण के कारण मनुष्य के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया कि वायु प्रदूषण शरीर के हर अंग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है वायु प्रदूषण के कारण व्यक्ति में तनाव पैदा करने वाले हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है और वह अस्वाद का शिकार हो जाता है बुजुर्गों में समझने की क्षमता में गिरावट संबंधी डिमेंशिया रोग हो जाता है अनेक प्रकार की मानसिक बीमारियां जो जल्दी से नहीं दिखती हैं
अधिकतर लोगों में हो जाती हैं
कीटनाशकों के संपर्क में रहने से कैंसर अल्जाइमर पार्किंसन हार्मोन असंतुलन विकास विकास संबंधी बीमारी और बांझपन की समस्या हो सकती है एक अनुमान के अनुसार विषाक्त प्रदूषण सामायिक मृत्यु का बड़ा कारण है इसके अलावा कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग से भूमि भूगर्भ जल एवं भोजन की पोषण क्षमता में अत्यधिक कमी हो जाती है ज्यादातर बीमारियों का संबंध बाजार के खाद्य उद्योग के अस्वास्थ्य कर आहार से जुड़ा पाया गया है
विदेशी कंपनियों द्वारा जीएम बीजों की बमबारी से रसायन प्रदूषण को अत्याधिक बढ़ा दिया है
खाद्य आपूर्ति पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है जिससे संक्रामक बीमारियों का कारण उत्पन्न हो गया है एक सर्वेक्षण के मुताबिक भूमि में सल्फर नाइट्रोजन व अन्य पोषक तत्वों की कमी आई है भूमि बंजर हो रही है
पर्यावरण के परिवर्तनों के कारण ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज ने अनेक बीमारियों को जन्म दिया है लोगों के सामने आजीविका के साथ ही अपने अस्तित्व को बचाने का संकट खड़ा हो गया है इसलिए खुद को सुरक्षित रखने के लिए करोड़ों लोग अपना आशियाना छोड़ चुके हैं यानी विस्थापित हो चुके जिससे शहरों पर भार बढ़ गया है। प्रदूषण से कई समस्याओं से धिर गया जनसंख्या प्रदूषण विस्फोटक स्थिति में आ चुका है विश्व के 20 में से 15 शहर हमारे देश के अत्याधिक प्रदूषित शहरों में हैं हम कहां खड़े हैं?
प्रदूषणो का जंजाल पैरानॉर्मल प्रॉब्लम बनता जा रहा है जो समझ में ही नहीं आ रहा है इसी तरह जलवायु परिवर्तन से विभीन्न प्रकार के प्रदूषण बढ़ रहें हैं प्राकृतिक संसाधन का उपयोग बड़ रहा है जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ सूखा गर्मी तूफ़ान भूषरण के कारण विस्थापन बड़ रहा है बीमारियां बढ़ रही है यह इको एंजाइटी से लोगों में मानसिक विकार हो रहा है
हमारी नियति है कि ज्यादा बादल बरस जाय तो उसे समेटने के साधन नहीं हैं और कम बरसे तो रिजर्व स्टॉक नही दिखाता है
बदल बरसने से शहर डूबने लगे बढ़ते शहरीकरण से आपदाए घातक हो जाती है और बढ़ते शहरीकरण से सांसे घूट रही है जनसंख्या विस्फोट से जल थल नभ प्रदूषित है वनों की कटाई से पृथ्वी तापमान मे वृद्धि हुई कार्बन उत्सर्जन बढ़ा अवशोषण काम हुआ अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में इस पर चिंता जताई जाती है पर स्वार्थ वश कोई भी देश ठोस कार्रवाई नहीं करते बेहतर होगा हम पृथ्वी पर संतुलन स्थापित करने में सहयोग दे। जैसे आस पास प्राकृति से जुड़े , पेड़ पौधे लगाए उनकी देखभाल करें।
प्रकृति के साहचर्य में ही हमारी संस्कृति है यज्ञो के देश में पर्यावरण शुद्ध करने के लिए यज्ञ की ओर लौटे। सघन वृक्षरोपण करें यज्ञीय देश में यज्ञ सामग्री के लिए वनस्पतिया लगाएं ।

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